अक्सर आपने देखा, सुना या महसूस किया होगा कि दही मे नमक डालने से, दही थोडे समय बाद अत्यधिक खट्टा हो जाता है। या इसी दही को कुछ् और अधिक समय तक रख दिया जाये तो दही खाने लायक भी नही रहता ।
क्या आपने कभी सोचा या जानने की कौशिश की, कि आखिर ऐसा क्यो होता है ?
दही को यदि लैंस से देखा जाय तो देखेंगे कि दही मे बहुत तरह के सुक्ष्म जीवाणु होते है, जो कि हमारे शरीर के अनुकुल होते है, और यह जीवाणु यदि शरीर मे जाते है तो शरीर की बहुत सारी ज़रुरतो को पुरा करते है या यो कहे कि इन जीवाणुओ से शरीर को कई तरह का पौषण मिलता है ।
अब जैसे ही हम दही मे रिफाईंड समुंद्री नमक डालते है तो यह सभी सुक्ष्म जीवाणु मर जाते है , इसीलिए दही मे नमक डालने से दही ख़ट्टा / खराब हो जाता है । वही दुसरी और दही मे यदि सेंधा नमक डालते है तो एक भी सुक्ष्म जीवाणु नही मरता है, और दही व छाछ खट्टे या खराब नही होते। यही कारण है कि आयुर्वेद के अनुसार दही मे सेंधा नमक ज़रुर ले सकते है ।
आयुर्वेद के अनुसार दही व छाछ् के साथ समुंद्री नमक पुरी तरह से वर्जीत है । दही व छाछ के साथ यदि रिफाईंड समुंद्री नमक खायेंगे तो बीसियो बिमरियो मे फंस जायेंगे । लकिन वही दही व छाछ् यदि सेंधा नमक के साथ खायेंगे तो जीवन भर निरोगी रहेंगे ।
आज ज्यादा से ज्यादा नमक हम बाज़ार से खरीद् कर खा रहे है या खाने को मिल रहा है , सामान्य रूप से वो समुंद्र के पानी से बना हुआ और केमिकल्स द्वारा रीफाइंड किया हुआ है ।
आयुर्वेद के अनुसार सबसे अच्छा नमक, सेंधा नमक माना जाता है, जो कि प्रक्रति द्वारा बनाया गया है। सेंधा नमक से शरीर को 94 तरह का पौषण मिलता है, यानि सेंधा नमक मे 94 तरह के स्वास्थय वर्धक ज़रुरी खनिज जैसे आयरन, कैल्सियम, नाईट्रोजन, मेग्निशियम, सोडियम, फोस्फोरस, पोटेशियम, मेग्नीस, कोपर, जिंक, सिल्वर, गोल्ड आदि उसी अनुपात मे पाये जाते जिस अनुपात मे शरीर के लिए ज़रुरी होते है । यह खनिज कई गम्भीर रोगो से शरीर की रक्षा करते है।
अगर यह कहा जाये कि सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए प्रक्रति का सर्वोत्तम वरदान है तो कोई अतिश्योक्ति न होगी । सेंधा नमक सबसे उत्तम व शुद्ध नमक है । इसकी पवित्रता व शुद्ता के कारण ही व्रत व उपवास मे यही नमक काम मे लिया जाता है । इससे भोजन पवित्र व शुद्ध बनता है।
आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ अश्टांग ह्रदयम के अनुसार- सेंधा नमक तीक्ष्ण्ता की कमी के कारण कुछ मधुर , वीर्यवर्धक, ह्रदय के लिए हितकारी , त्रिदोश शामक, लघू , कुछ उश्ण्वीर्य वाला, नेत्रो के लिए हितकारी, अविदाही (यह विदाह्कारक नही होता) होने पर भी जटराग्नि को प्रदिप्त करता है।
सेंधा नमक के उपयोग से रक्त चाप और कई गम्भीर बीमारियो पर नियंत्रण रहता है क्यो कि यह अम्लीय (Acidic) नही, क्षारीय (Alkaline) होता है । क्षारीय चीज जब अम्ल मे मिलती है तो रक्त अम्लता खत्म होते ही शरीर के कई रोग स्वत: ही ठीक होने लगते है।
सब्जियो या फलो को प्रयोग से पहले यदि सेंधा नमक के घोल मे रखा जाये तो काफी हद्द तक कीट्नाशक के ज़हर को कम करता है ।
सेंधा नमक के साबुत पत्थर को यदि ओफिस, दुकान, कमरे व पडाई के स्थान आदि मे रखा जाये तो यह उस स्थान की नकारात्मक उर्जा को बाहर निकाल कर उस स्थान को सकारात्मक उर्जा से भर देता है । यदि इसे क्म्पयूटर टीवी के सामने रख दे तो यह अल्ट्रा वोइलेट रेस को अपने मे खिंच लेता है ।
नमक की एक विशेषता होती है कि वह वातावरण की नमीं को अपने अंदर खींचता है व जमने लगता है, ऐसा न हो व नमक एक्स्ट्रा फ्री फ़्लो हो इसके लिए इस नमक मे कई प्रकार के केमिकल्स (magnesium carbonate, calcium silicate, sodium silico-aluminate and tricalcium phosphate.) मिलाये जाते है, इसलिए फ्री फ्लो के चक्कर मे न पडे ।
Rock salt (सेंधा नमक )
Rock salt is unrefined, unpolluted and uncontaminated. It has 94 trace minerals in the same proportions as found in the body. Salt’s important function is regulating blood pressure, volume and flexibility of blood vessels and the alkaline-acid balance. Natural Rock salt is also important to regulate fluid pressure (osmosis) in the body to protect against excessive water and nutrient losses. Refined salt is blasted with heat, changing its very structure, after it is “chemically cleaned. Additives such as dextrose and bleaching agents are then thrown into the mix, creating a product that’s far from being naturally alive with minerals; it is in fact a dead chemical.
अधिक जानकारी के लिए देखें वेबसाइट: http://flaxindia.blogspot.in/2011/06/blog-post.html